कुछ उम्दा जज्बात थे
जो तेरी वजह से हासील हुए
कुछ पल दूसरे जहाँ के
तेरे संग इस जहाँ मैं जीये
अब तू नही पास है
मगर मेरे संग तेरा एहसास है
शायद करीबी से दूरी घटती नही
और तुम दूर हो कर भी दील से जाती नही
तुम जाने कहाँ हो क्या सोचती हो
अभी भी क्या खुलकर हंसती हो
मालूम है ये सब बेकार की बातें हैं
और हम बेकार मैं साल बिताये जाते हैं
क्या करूंकाम की बातों मैं मन नही लगता
भुलाएं से भी वो नही भूलता
जिसकी वजह से कुछ ख्वाब काबिल हुएय
कुछ उम्दा जज्बात हासील हुएय
Sunday, July 12, 2009
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