ना मंजिलों का कुछ भी पता ,
ना साहिलों से रिश्ता भला ,
ना इस से वफ़ा ,
ना तुम से गिला ,
जाते हैं ले चले जहाँ,
अपनी सनम .................आवारगी............
सबने बनाये अपने अपने आशियाने ,
दुनिया मैं हैं सबके पते ठिकाने ,
अपनी तो शब् राहों मैं ही कटी ,
और साथ रही कौन???????
अपनी सनम .............आवारगी ..........
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment