Tuesday, January 26, 2010

आवारगी............

ना मंजिलों का कुछ भी पता ,
ना साहिलों से रिश्ता भला ,
ना इस से वफ़ा ,
ना तुम से गिला ,
जाते हैं ले चले जहाँ,
अपनी सनम .................आवारगी............


सबने बनाये अपने अपने आशियाने ,
दुनिया मैं हैं सबके पते ठिकाने ,
अपनी तो शब् राहों मैं ही कटी ,
और साथ रही कौन???????

अपनी सनम .............आवारगी ..........

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